रविवार, ३१ डिसेंबर, २०२३

दाग...


१३ सप्टेंबर २०२३

जख्म है हरा हरा, घाव भी नया नया
फिर इल्म् क्यो एस बात का के दर्द अभी गया नहीं

सच है के मन की शांती, जिंदगी का ध्येय है
पर दर्द ये सबुत है, मैं जिंदा हुं मरा नहीं

जो किया आपने, ये फितरत ही तो है आपकी
दुःख तो है इस बात का, आपको समझा नहीं

जख्म घाव दर्द ये तो, आज है, कल नहीं
दाग जो रहेगा दिल पे, शायद वो मिटेगा नाही.....

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