काश "काश" ये शब्द न होता,
दुनिया होती कितनी सुहानी
जो चाहे वो वो पा लेता,
न रहती कुछ भी अनहोनी
"काश" अगर एेसा होता,
"काश" अगर वैसा होता
कोई न फसता इन चक्करमें,
जो चाहे वो वैसा होता
क्या सचमे "काश" है हथियार भाग्य का,
या बस केवल बहाना हे
या नतीजा अपने फ़ैसलों का,
या बस डर का छिपाना है
काश "काश" ये शब्द न होता,
न छिपता कोई उसके पिछे
आसमांकी बुलंदी को छूँ लेते,
छोड़के सारे अफ़सोस नीचे
© Copyrights Reserved Avadhoot Kulkarni
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