सोमवार, ७ डिसेंबर, २००९

सच्चाई

हमने कुछ कहा उनसे, और वो कहेते हैं कहा नहीं
शायद वो सुन ना पाए हमें, या मेरे मुहमें जुबाँ नहीं

ये बात यहाँ तक आ पहुंची के दोनों सच नहीं हो सकते
तेरीभी जय मेरीभी जय कहेके हम चुप नहीं रहे सकते
पर फैसलाभी तो हो कैसे, कोई सबूत नहीं कोई गवाह नहीं

जिसकी जुबाँ में ज्यादा दम वही सच्चा कहेलाता है
फैसलेकी ऐसी घड़ियों मैं दूजा कच्चा रह जाता है
फिर तो जीत उन्हीकी है और मेरे मुह मैं जुबाँ नहीं

-अश्विन
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